बस युही इक रोज किसीने किया ख़याल है ज़िन्दगी,
इक अनसुलझा-सा सवाल है ज़िन्दगी,
किसी की खलती कमी का एहसास है ज़िन्दगी,
किसी की ख़ामोशी में छुपे अलफ़ाज़ है ज़िन्दगी।
इक अनसुलझा-सा सवाल है ज़िन्दगी,
किसी की खलती कमी का एहसास है ज़िन्दगी,
किसी की ख़ामोशी में छुपे अलफ़ाज़ है ज़िन्दगी।
किसी की बातों से झलकती इक मिठास है ज़िन्दगी,
सपनों के टूटने पर चुभती वो खटास है ज़िन्दगी,
इक टूटे दिल से निकली बेआवाज़ चीखती तान है ज़िन्दगी,
किसी ने प्यार से बढ़ाये हाथ को थामी वो मुस्कान है ज़िन्दगी।
रात बे रात महफिलों में छलकता जाम है ज़िन्दगी,
सिर्फ अंधेरों में पढ़ा जाये ऐसा पैग़ाम है ज़िन्दगी,
कुछ बंद कमरों और खुलती आँखों के मंज़र है ज़िन्दगी,
हर दम अपना बसेरा बदलती इक मंजिल है ज़िन्दगी,
रात के अंधेरो में नदारद रास्तो पर होती सुनहरी सुबह है ज़िन्दगी ।
कुछ नामी, कुछ बदनाम, कुछ शातिर, कुछ अनजान . .
तरह-तरह के चेहरों के साए में घुलती . . बेनाम है यह ज़िन्दगी,
हर किसी को अपनी निराली तारीफ पेश करती . .
. .वास्तव मे ग़ुमनाम है यह ज़िन्दगी।
-वि. वि. तलवनेकर
Waiting 4 sum MARATHI stuff VISHAL !!
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Nakki, sawad nahi sapdat aahe.. pan Lavkarach :)
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